Friday, 13 January 2023

Happy lohari 2023SCP foundation NGO Sarita vihar new delhi. #scp #scpdelhi #scpfoundation #scpindia #scptilpat #scpfaridabad #scpfoundationngo #delhi #delhi #scpfoundationbihar #scpfoundationharyana #scpfoundationup #scpfoundationsiligauri

Happy lohari 2023
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Tuesday, 10 January 2023

अगर आप राजनगर मधुबनी से हैं और अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए अच्छा स्कूल खोज रही हैं। तो एक बार इन स्कूलों पर नजर डालें।

 मधुबनी के ये गर्ल्स स्कूल आपकी बेटी के भविष्य के लिए हो सकते हैं बेहतर

अगर आप राजनगर मधुबनी  से हैं और अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए अच्छा स्कूल खोज रही हैं। तो एक बार इन स्कूलों पर नजर डालें।

शिक्षा बच्चों के लिए बेहद जरूरी होती है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर माएं हमेशा चिंता में रहती हैं। एक बेहतर स्कूल आपके बच्चे के भविष्य के लिए उठाया गया पहला कदम होता है। जहां घर से पहली बार बाहर निकलकर बच्चा बाहरी दुनिया से मिलता है। 

अगर आप अपनी बेटी के लिए एक अच्छा स्कूल खोज रही हैं। तो यह आर्टिकल आपके लिए हेल्पफुल हो सकता है। आज के इस लेख में हम आपको राजनगर मधुबनी  के फेमस स्कूलों के बारे में बताएंगे। आइए स्कूल और फीस से जुड़ी जानकारियों के बारे में-

 

1. (R d p s ) रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल -

  • रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल सोनवारी डीह राजनगर मधुबनी  पर स्थित है। यह स्कूल एससीपी फ़ाउंडेशन न्यू दिल्ली  एजुकेशनल सोसाइटी के द्वारा चलाया जाता है। अगर आप अपनी बेटी के लिए CBSE बोर्ड स्कूल तलाश रही हैं, तो यह स्कूल आपके लिए अच्छा ऑप्शन है।
  • स्कूल की वार्षिक फीस की बात करें तो यहां पढ़ाने के लिए आपको 36000 से लेकर 48,000 के आसपास है।
  • अधिक जानकारी के लिए पर क्लीक करें-  www.rdpsschool.com

2. आवासीय पब्लिक विद्यालय


  •  आवासीय पब्लिक विद्यालयराजनगर मधुबनी  पर स्थित है। यह स्कूल  एजुकेशनल सोसाइटी के द्वारा चलाया जाता है। अगर आप अपनी बेटी के लिए CBSE बोर्ड स्कूल तलाश रही हैं, तो यह स्कूल आपके लिए अच्छा ऑप्शन है।
  • स्कूल की वार्षिक फीस की बात करें तो यहां पढ़ाने के लिए आपको 30000 से लेकर 58,000 के आसपास है।
  • अधिक जानकारी के लिए पर क्लीक करें- 

3. आवासीय शारदा विद्या मंदिर

आवासीय शारदा विद्या मंदिर राजनगर मधुबनी  पर स्थित है।  अगर आप अपनी बेटी के लिए CBSE बोर्ड स्कूल तलाश रही हैं, तो यह स्कूल आपके लिए अच्छा ऑप्शन है।
  • स्कूल की वार्षिक फीस की बात करें तो यहां पढ़ाने के लिए आपको 30000 से लेकर 40,000 के आसपास है।
  • अधिक जानकारी के लिए पर क्लीक करें- 

4. राज सेमिनरी

  • राज सेमिनरी राजनगर मधुबनी  पर स्थित है। यह स्कूल  सोसाइटी के द्वारा चलाया जाता है। अगर आप अपनी बेटी के लिए CBSE बोर्ड स्कूल तलाश रही हैं, तो यह स्कूल आपके लिए अच्छा ऑप्शन है।
  • स्कूल की वार्षिक फीस की बात करें तो यहां पढ़ाने के लिए आपको 36000 से लेकर 48,000 के आसपास है।
  • अधिक जानकारी के लिए पर क्लीक करें-  


5. आवासीय शारदा विद्या मंदिर

  • आवासीय शारदा विद्या मंदिर  राजनगर मधुबनी  पर स्थित है। यह सोसाइटी के द्वारा चलाया जाता है। अगर आप अपनी बेटी के लिए CBSE बोर्ड स्कूल तलाश रही हैं, तो यह स्कूल आपके लिए अच्छा ऑप्शन है।
  • स्कूल की वार्षिक फीस की बात करें तो यहां पढ़ाने के लिए आपको 35000 से लेकर 48,000 के आसपास है।
  • अधिक जानकारी के लिए पर क्लीक करें-  
स्कूल पिक्चर :- 















Friday, 6 January 2023

इस हाथी को गौर से देखिए। राज प्लेस राजनगर मधुबनी का एतिहास || एससीपी फ़ाउंडेशन मधुबनी || अमरेन्द्र सिंह

 इस हाथी को गौर से देखिए।  राज प्लेस राजनगर मधुबनी का एतिहास




 यह बसपा का चुनाव निशान नहीं है, यह भारत में सीमेंट का इतिहास है। आप सोच रहे होंगे हाथी से सीमेंट का इतिहास क्या होगा। वैसे आप टीवी पर आये दिन एक सीमेंट का विज्ञापन देखते होंगे कि एक हाथी दिवाल से टकरा कर ध्वस्त हो जाता है, लेकिन यहां उस दावे को ही मूर्त रूप दिया गया है। दरअसल जब ब्रिटिश वास्तुदविद एम ए कोरनी ने रामेश्वेर सिंह को सीमेंट की खूबी यह कहते हुए बतायी कि यह इतना मजबूत ढांचा देगा कि हाथी भी तोड नहीं पायेगा, तो उन्होंने कोरनी से पहले सीमेंट से एक हाथी बनाकर दिखाने को कहा। कोरनी ने वहीं एक हाथी बनाया, जो भारत में सीमेंट से बना पहला ढांचा है। रामेश्वर सिंह ने इस ढांचे को देखकर कहा कि इसे तोडा नहीं जाये, बल्कि सचिवालय का स्वरूप ही इससे जोड दिखा जाये। कोरनी ने ऐसा ही किया। यह सीमेंट का हाथी उस सचिवालय का प्रवेश दरबाजा बन गया। आज सीमेंट खरीदते वक्त हम जरूर जर्मन और विदेशी तकनीक पर विश्वास करते हैं और महंगा नहीं सबसे बेहतर का नारा बुलंद करते हैं, लेकिन सीमेंट की तकनीक और इसका इतिहास तो राजनगर में ही देखा जा सकता है।

अमरेन्द्र सिंह 

एससीपी फ़ाउंडेशन एनजीओ

मधुबनी बिहार

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दक्षिण भारत में राजा बलि और उत्तर में वामन, जानिए || scp foundation ngo madhubani bihar

 दक्षिण भारत में राजा बलि और उत्तर में वामन, जानिए


दक्षिण भारत में असुरराज विरोचन के पुत्र राजा बलि की तो उत्तर भारत में कश्यप पुत्र भगवान वामन की पूजा का महत्व है। विष्णु के पांचवें अवतार वामन की पूजा भाद्रपद की शुक्ल द्वादशी को होती है जबकि बलि की पूजा भाद्रपद में त्रयोदशी को होती है। इस दिन को दक्षिण भारत में ओणम पर्व मनाया जाता है।




1.एक कथा के अनुसार ऋषि कश्यप और अदिति के पुत्र भगवान वामन थे जबकि ऋषि कश्यप और दिति के पुत्र हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद और प्रहलाद के पुत्र विरोचन और विरोचन के पुत्र असुरराज बलि थे।
2.राजा बलि का राज्य संपूर्ण दक्षिण भारत में था। दक्षिण भारत में वे अपनी जनता के बीच लोकप्रिय थे और दानवीर के रूप में उनकी दूर-दूर तक प्रसिद्धि थी। उन्होंने महाबलीपुरम को अपनी राजधानी बनाया था। दूसरी ओर भगवान वामन हिमालय में रहते थे। उस वक्त अमरावती

3.जब राजा बलि ने त्रिलोक्य पर अधिकार कर लिया तो देवताओं के अनुरोध पर वामन भगवान ने ब्राह्मण वेश में राजा बलि से उस वक्त तीन पग धरती मांग ली जब वे नर्मदा तट पर अपना एक यज्ञ संपन्न कर रहे थे। वहां शुक्राचार्य ने उन्हें सतर्क किया लेकिन बलि ने दान का संकल्प ले लिया। बाद में वामन ने अपना विराट रूप दिखाकर संपूर्ण त्रिलोक्य पर अपना अधिकार जमा लिया और बलि को बाद में पाताल लोक के सुतल लोक का राजा बनाकर अजर-अमर कर दिया।



4.दक्षिण भारत में खासकर केरल के लोग मानते हैं कि हमारे राजा बलि अजर-अमर हैं और वे ओणम के दिन अपनी प्रजा को देखने वर्ष में एक बार जरूर आते हैं। वह दिन ही ओणम होता है। वहां के कुछ लोगों में यह भी मान्यता है कि वामन भगवान ने उनके साथ छल गया था। ओणम का त्योहार दीपावली की तरह मनाया जाता है, जबकि वामन अवतार तिथि के समय उत्तर भारत में इतनी कोई धूम नहीं होती।
5.उत्तर भारत में कुछ लोग मानते हैं कि राजा बलि एक असुर था और खुद को ईश्वर मानता था। मान्यता अनुसार वर्तमान में वह मरुभूमि में रहता है। प्राचीन काल में मरुभूमि के पास की भूमि को पाताल लोक कहा जाता था। अधिकतर मान्यताओं के अनुसार अरब की खाड़ी में पाताल लोक स्थित है। वहीं पर अहिरावण का भी राज्य था। समुद्र मंथन में बलि को घोड़ा प्राप्त हुआ था जबकि इंद्र को हाथी। उल्लेखनीय है कि अरब में घोड़ों की तादाद ज्यादा थी और भारत में हाथियों की।

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राजा बलि पिछले जन्म में कौन था? - एससीपी फ़ाउंडेशन एनजीओ मधुबनी बिहार

 राजा बलि पिछले जन्म में कौन था?




राजा बलि के पूर्वज प्रह्लाद थे। जो कि भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। पुराणों में वर्णित हिंदू कथाओं को मानें तो राजा बलि पूर्वजन्म में जुआरी थे।


अमरेन्द्र सिंह एससीपी फ़ाउंडेशन एनजीओ मधुबनी बिहार https://scpfoundationngo.com https://www.facebook.com/scpfoundation.singh http://scpfoundationngo.blogspot.com/ https://www.linkedin.com/in/scp-foundation-01770141/ https://www.youtube.com/user/scpfoundation021

राजा बलि - एससीपी फ़ाउंडेशन एनजीओ मधुबनी बिहार

 राजा बलि

महाबली संविभागी बळीराजा
वामन और बलि
बलि सप्तचिरजीवियों में से एक, पुराणप्रसिद्ध विष्णुभक्त, दानवीर, महान् योद्धा थे। विरोचनपुत्र असुरराज बलि सभी युद्ध कौशल में निपुण थे। वे वैरोचन नामक साम्राज्य के सम्राट थे जिसकी राजधानी महाबलिपुर थी। इन्हें परास्त करने के लिए विष्णु का वामनावतार हुआ था। इसने असुरगुरु शुक्राचार्य की प्रेरणा से देवों को विजित कर स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लिया । समुद्रमंथन से प्राप्त रत्नों के लिए जब देवासुर संग्राम छिड़ा और असुरों एवं देवताओं के बीच युद्ध हुआ तो असुरों ने अपनी मायावी शक्तियों एवं का प्रयोग कर के देवताओं को युद्ध में परास्त किया। उस के बाद राजा बलि ने विश्वजित्‌ और शत अश्वमेध यज्ञों का संपादन कर तीनों लोकों पर अधिकार जमा लिया।





कालांतर में जब यह अंतिम अश्वमेघ यज्ञ का समापन कर रहा था, तब दान के लिए वामन रूप में ब्राह्मण वेशधारी विष्णु उपस्थित हुए। शुक्राचार्य के सावधान करने पर भी बलि दान से विमुख न हुआ। वामन ने तीन पग भूमि दान में माँगी और संकल्प पूरा होते ही विशाल रूप धारण कर प्रथम दो पगों में पृथ्वी और स्वर्ग को नाप लिया। शेष दान के लिए बलि ने अपना मस्तक नपवा दिया। लोक मान्यता है कि पार्वती द्वारा शिव पर उछाले गए सात चावल सात रंग की बालू बनकर कन्याकुमारी के पास बिखर गए। 'ओणम' के अवसर पर राजा बलि केरल में प्रतिवर्ष अपनी प्यारी प्रजा को देखने आते हैं। राजा बलि का टीला मथुरा में है।

एससीपी फ़ाउंडेशन एनजीओ
मधुबनी बिहार

राजा बलि कौन से कास्ट के थे?

 राजा बलि कौन से कास्ट के थे?

पुराकाल में “बलि” (Raja Bali) नाम से एक महापराक्रमी राजा थे । उनका जन्म असुर-वंश में हुआ था और ये असुरों के ही राजा थे तथा वे बड़े न्याय-निष्ठ और दानी थे । ये महाराज प्रह्वाद के पौत्र और विरोचन के पुत्र थे।



देश-दुनिया की नजरों से ओझल हैं राजा बलि का गढ़- “बलिराजगढ़”

 देश-दुनिया की नजरों से ओझल हैं राजा बलि का गढ़- “बलिराजगढ़”


मधुबनी जिले के बाबूबरही प्रखंड क्षेत्र स्थित 122.31 एकड़ में फैले पुरातात्विक महत्व के स्थल बलिराजगढ़ की पूर्व में तीन बार हो चुकी खुदाई में कई ऐतिहासिक प्रमाण मिल चुके हैं। पूर्व में दो बार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और एक बार राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा उक्त स्थल की खुदाई की जा चुकी है। यहां पूर्ण खुदाई अबतक नहीं हो पाई है, जिस कारण कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य अभी देश-दुनिया की नजरों से ओझल हैं। राजा बलि का गढ़ के रूप में स्थल की प्रसिद्धि है।


मधुबनी जिले के बाबूबरही प्रखंड अंतर्गत बलिराजगढ़ में प्राचीन किला तथा गढ़ होने के प्रमाण मिल चुके हैं। इसे राजा बलि का गढ़ होना बताया जाता है। यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्थल है। तीन बार इस जगह की खुदाई ओर सर्वेक्षण किया जा चुका है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने पहली बार वर्ष 1962-63 में यहां खुदाई की थी। जिसके बाद राज्य पुरातत्व, बिहार सरकार ने 1972-73 में खुदाई की। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने वर्ष 2013-14 में खुदाई का कार्य किया। खुदाई में पांच चरणों के सांस्कृतिक कालों यथा-उत्तरी काले मृदमाण्ड, शुंग, कुषाण, गुप्त व इसके बाद पाल के काल के पुरावशेषों का पता चला।

खोज में तीन विभिन्न चरणों में परकोटा के अवशेष, जली हुई ईंटों की संरचना के अवशेष और आवासीय भवनों की अन्य संरचनाएं भी प्रकाश में आईं हैं। पुरावशेषों में टेराकोटा की वस्तुएं जैसे जानवर और मनुष्य की मूर्तियां आदि शामिल हैं।

17 जनवरी 2012 को सेवा यात्रा के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां पहुंचे थे। इस दौरान सीएम ने पुरातावकि महत्व वाले बलिराजगढ़ की पूर्ण खुदाई का आश्वासन दिया था। सीएम नीतीश कुमार ने दिया हुआ है इस बलीराजबढ किले के पूर्ण खुदाई एवं पर्यटक क्षेत्र के रुओ में विकसित करने का आश्वासन।



बलिराजगढ़ को पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित करने को लेकर दो वर्ष पूर्व तत्कालीन डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने इसकी खुदाई कराने तथा इसे पर्यटक स्थल के रुप में घोषित करने के लिए राज्य के कला संस्कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भेजा था। कला संस्कृति एवं युवा विभाग के प्रधान सचिव के साथ पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव एवं अधीक्षक, पुरातत्वविद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, अंचल बिहार को भेजे गए अनुरोध पत्र में डीएम ने बलिराजगढ़ की पुरातावकि खुदाई के शुरू कराने के साथ ही स्थल की सुरक्षात्मक व्यवस्था सुनिश्चित करने का जिक्र भी किया था।



सेंट्रली प्रोटेक्टेड साइट बलिराजगढ़ की उचित देख-रेख एवं रख-रखाव नहींं होने से इसकी क्षति हो रही है। चहारदीवारी से घिरा नहीं रहने के कारण असमाजिक तत्वों द्वारा ईंट, पत्थर आदि की चोरी की जा रही है।

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बिहार के राजा बलि गड़ का रहस्य जो मधुबनी जिला के अंदर स्थित है? - scp foundation madhubani

 बिहार के राजा बलि गड़ का रहस्य जो मधुबनी जिला के अंदर स्थित है?






प्राचीन काल में सूर और असुरों का ही राज्य था। सूर को देवता और असुरों को दैत्य कहा जाता था । दानवों और राक्षसों की प्रजाति अलग होती थी ।गंधर्व यक्ष और किन्नर भी होते थे ।

असुरों के पुरोहित शुक्राचार्य भगवान शिव के भक्त और सुरों के पुरोहित बृहस्पति भगवान विष्णु के भक्त थे।

इससे पहले भृगु और अंगिरा ऋषि असुर और देव के पुरोहित पद पर थे । सुर और असुर ओं में साम्राज्य शक्ति प्रतिष्ठा और सम्मान की लड़ाई चलती रहती थी ।

दुनिया में दो ही तरह के धर्मों में प्राचीन काल से झगड़ा होता आया है। एक वह लोग जो देवताओं के गुरु बृहस्पति के धर्म को मानते हैं । और दूसरे वे लोग जो दैत्यों असुरों के गुरु शुक्राचार्य के धर्म को मानते आए हैं।


राजा बलि के पूर्व जन्म की कथा:-

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा बलि अपने पूर्व जन्म में एक जुआरी थे ।एक जुए में उन्हें कुछ धन मिला। उस धन से उन्होंने अपनी प्रिय वेश्या के लिए एक हार खरीदा। बहुत खुशी-खुशी यह हार लेकर वैश्या के घर जाने लगा लेकिन रास्ते में ही इनको मृत्यु ने घेर लिया यह मरने ही वाला था ।

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बलिराजगढ़- एक प्राचीन मिथिला नगरी

 बलिराजगढ़- एक प्राचीन मिथिला नगरी

प्राचीन मिथिलांचल के लगभग मध्यभाग में मधुबनी जिला से 30 किलोमीटर की दुरी पर बाबूबरही थाना के अन्तर्गत आता है। यहां पहुंचने के लिए रेल और सड़क मार्ग दोनों की सुविधा उपलब्ध है। बलिराजगढ़ कामलाबलान नदी से 7 किलोमीटर पूर्व और कोसी नदी से 35 किलोमीटर पश्चिम में मिथिलांचल के भूभाग पर अवस्थित है।
लोकेशन -
पूरब - फुलवारिया
पश्चिम - रमणिपट्टी (बगौल)
उत्तर - ब्भंटोली
दक्षिण - खोईएर

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Thursday, 5 January 2023

CSR Funds for Agriculture, Funds for Farming, Fund for NGOs, CSR Funds | SCP FOUNDATION NEW DELHI

 CSR Funds for Agriculture, Funds for Farming, Fund for NGOs, CSR Funds | SCP FOUNDATION

Top 20 Companies with CSR activies in Agriculture in India

India's agriculture sector plays a pivotal role in the country's economic progress. The increased food demand in local and global markets has opend up enormous opportunities for farmers yet they continue to face challenges such as small and declining land holdings, price instability, soil degradation, and climate risks. Various service providers, such as private aribusiness firms and non-organisations(NGO), must be involded in the transmission of agricultural technologies with informatin, skills, and expertise, while also leveraging Corporate Social Responsibility (CSR) funds.


Despite the fact that companies have spent CSR funds in the agriculture industry, there still lies a significatn opportunity for investment in the social sector. Companies can create CSR projects to help farmers enhance their crops and ern more income. Such Investments witll aid the agriculture  sector's growth and development.






Below are some of the Agricultural projects in India based on the CSR funds allocatioin of each company in the Financial year 2023-2024.


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